देश में पहली बार ऐसा हुआ कि सोशल मीडिया और वॉट्सएप पर वायरल मैसेज की वजह से 'भारत बंद' रहा। सड़कों पर पुलिस फोर्स उतारनी पड़ गई। कहा गया कि आरक्षण के खिलाफ सवर्णों ने भारत बंद किया है लेकिन किसी संगठन ने बंद की जिम्मेदारी नहीं ली। वायरल मैसेज से खतरे की बात सिर्फ एक दिन की नहीं थी, क्योंकि वॉट्सएप पर ऐसे कई वीडियो और फोटो सर्कुलेट हो रहे हैं जिनसे लोगों को भड़काया जा रहा है। ताजा मामला एक वीडियो के जरिए सामने आया है। जिसमें कुछ युवकों को थाने के अंदर बेल्ट से पीटा जा रहा है। मैसेज में लिखा है एससी/एसटी एक्ट में बदलाव के बाद दलितों के साथ ऐसा ही सलूक किया जाएगा। ऐसे में बताते हैं कि आखिर वायरल वीडियो का सच क्या है?
वीडियो में क्या है?
वीडियो एक मिनट चालीस सेकंड का है। जिसमें थाने के अंदर कुछ युवकों को लाइन से बैठाया गया है। फिर पुलिसवाला उन्हें बेल्ट से पीटना शुरू कर देता है। वो हाथ जोड़ते हैं, रहम की भीख मांगते हैं लेकिन पुलिसवाला पीटता ही जाता है। बेल्ट चलाने के साथ ही पुलिसवाला कह रहा है कि अब गुंडागर्दी नहीं चलेगी। दूसरा पुलिसवाला पूछ-पूछकर उनका नाम दर्ज कर रहा है।
वीडियो के साथ मैसेज क्या है?
वीडियो के साथ मैसेज लिखा है कि 'इस वीडियो को हर फोन तक पहुंचाएं। हमारे माननीय सुप्रीम कोर्ट और पूरे देश को पता लगे कि SC/ST एक्ट में हुए बदलाव से क्या दुष्परिणाम होंगे। जय भीम जय भारत।
क्या है वीडियो का सच?
वीडियो को ध्यान से सुनने पर पता चलता है कि एक जगह पुलिसवाला कहता है कि इंदौर की जनता अब गुंडागर्दी बर्दाश्त नहीं करेगी। जिससे पता चला कि वीडियो एमपी के इंदौर का है। इसके बाद इंदौर पुलिस को वीडियो दिखाया गया, जिसके बाद पूरा सच सामने आ गया।
- पुलिस के मुताबिक वीडियो तीन साल पुराना 29 मई 2015 का है। उस वक्त एमपी में गुंडा पकड़ो अभियान चलाया जा रहा था। उसी दौरान कुछ गुंडों को पकड़कर रोड पर पीटते हुए थाने लाया गया था। उन्हें थाने के अंदर भी पीटा गया था। वीडियो उसी का है।
- ऐसे में वॉट्सएप पर दलितों के आंदोलन को दबाने की साजिश के नाम पर वायरल हो रहा वीडियो झूठा निकला। वीडियो के जरिए लोगों की भावनाओं को भड़काने की कोशिश की जा रही है।