अगरतला: त्रिपुरा के निवर्तमान मुख्यमंत्री माणिक सरकार ने कल्पनातीत धन बल और मीडिया द्वारा लगातार जारी चरित्र हनन को हाल में राज्य में संपन्न हुए चुनावों में पार्टी की हार का कारण माना है। माणिक ने पश्चिम बंगाल में पार्टी के मुखपत्र गणशक्ति को दिए एक साक्षात्कार में कहा कि चुनाव परिणाम अनपेक्षित थे और राज्य तथा देश के लोगों ने नोटिस किया है कि भाजपा ने किस तरह वाम मोर्चा की सरकार को हटाने के लिए हर तरह से प्रयास किए।
उन्होंने कहा कि वास्तव में केंद्र सरकार ने मनरेगा और आवास योजनाओं में केंद्रीय आवंटन को कम कर आर्थिक बाधा पैदा की। माकपा के मुखपत्र डेली देशेरकथा में भी प्रकाशित साक्षात्कार में माणिक ने कहा कि वाम दलों ने पूरी ताकत से चुनाव लड़े थे और उनके आशातीत धन बल और मीडिया में लगातार चरित्र हनने के खिलाफ जनता उनकी मुख्य ताकत थी। वह माकपा पोलित ब्यूरो के सदस्य भी हैं।
उन्होंने कहा कि सभी सूचनाएं उपलब्ध होने के बाद माकपा राज्य में हाल में संपन्न हुए विधानसभा चुनावों में हार के कारणों की समीक्षा करेगी। इसने कहा कि भाजपा- इंडिजिनस पीपुल्स फ्रंट ऑफ त्रिपुरा (आईपीएफटी) वाम विराधी ताकतों के अधिकतर हिस्से को अपने पाले में लाने में सफल रहे।
माणिक ने कहा कि हम 45 फीसदी वोट हासिल कर सके। यह भी तथ्य है कि हमने पहले जो वोट हासिल किए उसका एक हिस्सा उनके (भाजपा-आईपीएफटी) गठबंधन के पक्ष में गया। उन्होंने कहा कि हम समीक्षा करेंगे कि ऐसा क्यों हुआ। उन्होंने कहा कि माकपा का विचारधारा और वैकल्पिक सिद्धांत का आंदोलन जारी रहेगा और कभी नहीं रूकेगा।
उन्होंने दावा किया कि वामपंथी कार्यकर्ताओं पर हमले और पार्टी कार्यालयों को जलाने की घटनाएं शुरू हो गई हैं। उन्होंने कहा कि जिन लोगों ने भाजपा को वोट दिए थे और बदलाव के आह्वान पर वोट दिए थे, वे भी चुनावों के बाद इस तरह का माहौल नहीं चाहते। उन्होंने कहा, 'मेरा मानना है कि इन चीजों को रोका जाना चाहिए। मुझे उम्मीद है कि इन सब को रोकने के लिए उनका (भाजपा-आईपीएफटी) नेतृत्व सकारात्मक कदम उठाएगा।'