पीएम से बातचीत के दौरान मुख्यमंत्री नायडू ने उन्हें केंद्रीय मंत्रियों के इस्तीफे और टीडीपी द्वारा केंद्र सरकार से समर्थन वापस लेने के कारणों के बारे में बताया है।
नई दिल्ली: एनडीए से अलग हुई टीडीपी को मनाने की कोशिशें बेकार चली गई हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने खुद आंध्र प्रदेश के सीएम चंद्रबाबू नायडू से बात की, लेकिन गठबंधन को बचाया नहीं जा सका है। मोदी कैबिनेट में शामिल टीडीपी के दोनों मंत्रियों ने अपना इस्तीफा प्रधानमंत्री को भेज दिया है। इससे पहले केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल टीडीपी के दोनों मंत्रियों ने पीएम मोदी से मुलाकात की थी।
उनकी पार्टी सत्तारूढ़ गठबंधन का हिस्सा बनी रहेगी। चौधरी ने कहा कि विशेष श्रेणी का दर्जा राज्य के लिए बहुत भावनात्मक है लेकिन केंद्र ने इसका समाधान नहीं किया। उन्होंने कहा कि विशेष पैकेज भी पर्याप्त नहीं है। हालांकि उन्होंने कहा कि यह कहना अनुचित होगा कि केंद्र ने राज्य के लिए कुछ नहीं किया।
तेलगु देशम पार्टी (तेदेपा) कल रात नरेंद्र मोदी सरकार से अलग हो गई थी और केंद्रीय मंत्रिमंडल में अपने दो मंत्रियों से उसने इस्तीफा दे देने को कहा था। वहीं आंध्र प्रदेश में बीजेपी के दो मंत्रियों कमनेनी श्रीनिवास और पी.मणिक्याला राव ने गुरुवार को मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू को इस्तीफा सौंप दिया। चिकित्सा एवं स्वास्थ्य मंत्री कमिनेनी श्रीनिवास और एन्डोमेंट मंत्री और पी मणिक्याला राव ने विधानसभा में मुख्यमंत्री के कक्ष में उनसे मुलाकात की और उन्हें अपना इस्तीफा सौंप दिया।
पीएम से बातचीत के दौरान मुख्यमंत्री नायडू ने उन्हें केंद्रीय मंत्रियों के इस्तीफे और टीडीपी द्वारा केंद्र सरकार से समर्थन वापस लेने के कारणों के बारे में बताया है। चंद्रबाबू नायडू ने ये फैसला आंध्र प्रदेश को विशेष राज्य का दर्जा नहीं दिए जाने के केंद्र सरकार के इनकार के विरोध में लिया। मुख्यमंत्री नायडू ने यह कदम उठाते हुए कहा था कि केंद्र ने राज्य के साथ अन्याय किया है। तेदेपा पिछले लोकसभा चुनाव से एक वर्ष पहले यानी वर्ष 2013 में राजग से जुड़ी थी। 2014 में भाजपा के समर्थन से उसे जनादेश हासिल हुआ था।
उनकी पार्टी सत्तारूढ़ गठबंधन का हिस्सा बनी रहेगी। चौधरी ने कहा कि विशेष श्रेणी का दर्जा राज्य के लिए बहुत भावनात्मक है लेकिन केंद्र ने इसका समाधान नहीं किया। उन्होंने कहा कि विशेष पैकेज भी पर्याप्त नहीं है। हालांकि उन्होंने कहा कि यह कहना अनुचित होगा कि केंद्र ने राज्य के लिए कुछ नहीं किया।
तेलगु देशम पार्टी (तेदेपा) कल रात नरेंद्र मोदी सरकार से अलग हो गई थी और केंद्रीय मंत्रिमंडल में अपने दो मंत्रियों से उसने इस्तीफा दे देने को कहा था। वहीं आंध्र प्रदेश में बीजेपी के दो मंत्रियों कमनेनी श्रीनिवास और पी.मणिक्याला राव ने गुरुवार को मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू को इस्तीफा सौंप दिया। चिकित्सा एवं स्वास्थ्य मंत्री कमिनेनी श्रीनिवास और एन्डोमेंट मंत्री और पी मणिक्याला राव ने विधानसभा में मुख्यमंत्री के कक्ष में उनसे मुलाकात की और उन्हें अपना इस्तीफा सौंप दिया।
पीएम से बातचीत के दौरान मुख्यमंत्री नायडू ने उन्हें केंद्रीय मंत्रियों के इस्तीफे और टीडीपी द्वारा केंद्र सरकार से समर्थन वापस लेने के कारणों के बारे में बताया है। चंद्रबाबू नायडू ने ये फैसला आंध्र प्रदेश को विशेष राज्य का दर्जा नहीं दिए जाने के केंद्र सरकार के इनकार के विरोध में लिया। मुख्यमंत्री नायडू ने यह कदम उठाते हुए कहा था कि केंद्र ने राज्य के साथ अन्याय किया है। तेदेपा पिछले लोकसभा चुनाव से एक वर्ष पहले यानी वर्ष 2013 में राजग से जुड़ी थी। 2014 में भाजपा के समर्थन से उसे जनादेश हासिल हुआ था।
सरकार के सूत्रों ने टाइम्स नाउ को बताया कि मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू विशेष पैकेज के तहत केंद्र से करीब 1 लाख करोड़ रुपए की मांग कर रहे हैं जो व्यावहारिक नहीं है। सरकार का मानना है कि इतनी बड़ी रकम यदि वह आंध्र प्रदेश को जारी कर देती है तो उसे जरूरी एवं बुनियादी योजनाओं को जारी रखने में मुश्किलें हो सकती हैं। इसके अलावा रक्षा तैयारियों के बजट पर भी इसका बुरा असर पड़ेगा जिसके लिए सरकार तैयार नहीं है। सूत्रों का यह भी कहना है कि ओडिशा, झारखंड और बिहार काफी समय से विशेष राज्य के दर्जे की मांग कर रहे हैं। ऐसे में आंध्र प्रदेश को विशेष राज्य का दर्जा देने के बाद इन राज्यों में भी स्पेशल स्टेटस की मांग तेज हो जाएगी। वैसे भी विशेष राज्य के दर्जे पर पहला हक ओशिडा, झारखंड और बिहार का बनता है।